Wednesday, April 18, 2012

Dil chahta hai..

कुछ नया लिखने को दिल चाहता है
लगी एक नाव और नदी का बहता पानी,
घटाएं घुमड़ती, गुनगुनाती कहानी,
दिल अकेला कहाँ मानता है..
कुछ नया गाने को दिल चाहता है!! 

रेत पे लिखा तेरा मेरा नाम,
लहरों के डर से सिमट्ठे बिखरते.. 
जब दिल ने देखा उन्हें सिसकते
दिल दुखियारा ये कब मानता है
कुछ नया कहने को दिल चाहता है






No comments:

Post a Comment


Thanks for dropping by. Take a minute to pen your thoughts..